महामारी की दूसरी लहर और स्वास्थ्य सेवा में भारत की तैयारी

Teacher

Pooja kumari

Coordinator cum Researcher

 

भारत महज़ एक साल के अन्दर आज COVID-19 महामारी की दूसरी लहर का भीषण रूप से सामना कर रहा है| पिछले एक सप्ताह से भारत दुनिया में कोरोनावायरस बीमारी के सबसे अधिक नये मामलों से जूझ रहा है| 30 अप्रैल 2021 को 3,86,452 नए कोरोनावायरस मामलों आये हैं जो दुनिया में सबसे अधिक एक दिवसीय आंकडें हैं और एक दिन में भारत में सबसे अधिक 3498 मौतें हुईं। इसी के साथ अब-तक देश भर में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2,08,330 हो गई है|

भारत में कोरोनावायरस का एक दिवसीय विवरण

दिनांक

नए कोरोना मामलें

मौतें 

29/04/2021

3,79,257

3,645

28/04/2021

3,60,960

3,293

27/04/2021

3,23,144

2,771

26/04/2021

3,52,991

2,812

25/04/2021

3,49,691

2,767

24/04/2021

3,46,786

2,624

23/04/2021

3,32,730

2263

22/04/2021

3,14,835

2,104

सोर्स : स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार

भारत पूरे विश्व में ऑक्सीजन एवं दवाइयों के निर्माण और निर्यात में सबसे बड़े निर्यातक देशों में से एक हैं, बावजूद इसके आज फिर से देश न केवल महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आया बल्कि घरेलू मांग की पूर्ति में भारी कमी का सामना कर रहा हैं|

दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु सहित कई बड़े शहर तथा गम्भीर रूप से प्रभावित राज्यों ने कुछ दिनों के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन या कर्फ्यू घोषित कर दिया हैं| भारत का हर क्षेत्र इस महामारी का प्रतिकूल असर देख रहा हैं| शहरों से लेकर ग्रामीण भारत में बड़ी आबादी को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है|

इस वक्त देश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति एक विशेष समस्या है, हर रोज भारी संख्या में नये मरीज आने से अस्पतालों पर लगातार प्रभाव बढ़ता जा रहा हैं| राजधानी दिल्ली सहित मुंबई, भोपाल, कानपुर, बनारस और लखनऊ के कई अस्पताल पूरी तरह से इस कमी के साथ जूझ रहे हैं| मुख्य समस्या यह है कि समय पर अस्पताल के बेड तक मेडिकल ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही है।

23 अप्रैल 2021 की रात को, ऑक्सीजन का स्टॉक कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों की मौत हो गई। 24 अप्रैल, शनिवार सुबह अस्पताल में भी केवल 45 मिनट के लिए ऑक्सीजन था और उन्होंने तत्काल सरकारी मदद की मांग की| 22-23 अप्रैल 2021, दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में 25 कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो गई। 21 अप्रैल, को महाराष्ट्र के नासिक में 24 रोगियों ने ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण अपनी जान गंवा दी| ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण दिल्ली, नोएडा और लखनऊ के कुछ अस्पतालों ने "ऑक्सीजन आउट ऑफ स्टॉक" का बोर्ड लगा दिया।

देश भर में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा, यदि जरूरत पड़े तो नए प्लांट लगाइए, भीख या उधार मांगिये लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी कीजिये। तो वही दूसरी ओर बिहार में भी ऑक्सीजन की भारी किल्लत से नाराज पटना हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को ये आदेश दिया है की बिहार में अगर किसी अस्पताल को ऑक्सीजन की किल्लत झेलनी पड़ रही है तो वह सीधे पटना हाईकोर्ट को मेल करे|

इस समस्या पर ध्यान देते हुए पिछले साल नवंबर में संसद की एक स्वास्थ्य संबंधी स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को यह सुझाव दिया था कि ऑक्सीजन के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाये ताकि अस्पतालों में इसकी आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। साथ ही कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए देश के सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या भी बढाई जाये, अस्पतालों में बिस्तरों और वेंटिलेटर की कमी की वजह से इस महामारी को रोकने की कोशिशों पर प्रभाव पड़ रहा है।

इस वक्त एक अकल्पनीय त्रासदी देश में कई शहरों के श्मशानघाट पर भी सामने आ रही है, जहां भारी संख्या में कोरोना से मृत लोग अंतिम संस्कार के लिए लाये जा रहे हैं| बहुत से शमशान घाटों पर मृतकों के परिवार वालों को 16 से 20 घंटे का लम्बा इंतजार करना पड़ रहा हैं । गुजरात में लगातार कई शवों को जलाने के बाद एक विद्युत् शव गृह में चिमनी पिघल गई, तो कुछ अन्य जगहों पर लकड़ियों की कमी हो गई है| दिल्ली में तो श्मशान घाट पर जगह न मिलने की वजह से कुछ परिवार पार्क में अंतिम संस्कार करने को मजबूर हो रहे हैं|

सरकार की पहल: सरकार ने रेलवे की मदद से एक "ऑक्सीजन एक्सप्रेस" शुरू किया है, जहाँ मांग के अनुसार टैंकर ले जाने वाली ट्रेनें हैं साथ ही भारतीय वायु सेना सैन्य ठिकानों से ऑक्सीजन ले रही है। इसके अलावा वे 50,000 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन आयात करने की योजना भी बना रहे हैं।

भारत में औद्योगिक उपयोग के लिए कम से कम 7,100 टन ऑक्सीजन की दैनिक उत्पादन क्षमता है, जो वर्तमान मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। प्रधान मंत्री कार्यालय ने 22 अप्रैल को कहा कि इस सप्ताह, सरकार ने देश के 20 सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों को 6,822 टन तरल ऑक्सीजन आवंटित किया, जो कि 6,785 टन की संयुक्त मांग है। केंद्र सरकार ने अगले तीन महीने तक के लिए ऑक्सीजन और इससे जुड़े उपकरणों के आयात पर लगने वाले सीमा शुल्क पर छूट दी है|

PM CARES फंड से देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के अंदर 551 समर्पित चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए धन के आवंटन को मंजूरी दी हैं। इन समर्पित संयंत्रों को विभिन्न राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के जिला मुख्यालयों के चिन्हित सरकारी अस्पतालों में स्थापित किया जाएगा।

महामारी से जुड़ी समस्याएं:

बीमारी के नये रूप को पहचानने और उस पर काम करने या वक्त रहते सही दिशा में तैयारी करने में देरी हुई| सार्वजनिक वितरण प्रणाली भारी बोझ और बिना किसी राष्ट्रीय प्लान के साथ कम कर रही हैं|जिसका नतीजा हम स्वास्थ्य सेवाओं की मांग और आपूर्ति में तालमेल की भारी कमी के रूप में देख रहे हैं| साथ ही देश भर के शहरों में अस्पतालों के बीच बेहतर ट्रांसपोर्टेशन की कमी भी देखी जा रही हैं|तो दूसरी ओर राजधानी दिल्ली में सरकार के पास ऑक्सीजन को स्टोर करने के लिए अपने टैंकर नहीं हैं|

ऑक्सीजन सहित दवाइयों की कालाबाजारी बड़े पैमाने पर कई परिवारों के लिए मुसीबत बन गई हैं| बहुत से लोग इनका स्टोर कर लोगों को मुंह मांगी रकम में बेच कर मुनाफा कमा रहे है जिसपर देश भर में पुलिस द्वारा छापेमारी भी की जा रही हैं|

कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार धीमी हुई है| टेस्टिंग लैब्स के बाहर भारी संख्या में लोग लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे है| साथ ही रिपोर्ट आने और किसी भी गम्भीर बीमार व्यक्ति को अस्पतालों में बेड मिलने के लिए भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा हैं|

जिस रफ़्तार से नए मरीज़ आ रहे है उसके हिसाब से अस्थाई अस्पतालों और कोविड केन्द्रों की कमी है, जो कोरोना से लड़ने के लिए बनाये जा सकते हैं| हालाँकि विभिन्न सरकारें अब इस दिशा में काम कर रही हैं|  

इस महामारी से लड़ने के लिए सरकार की नीति के तहत देश में सबसे पहले कोरोना योधाओं और फिर बुजुर्गों को वैक्सीन देने की नीति बनाई गई जिसपर देश सफल भी रहा| लेकिन अब पूरे देश भर में 18 वर्ष से ऊपर सभी नागरिको को वैक्सीन देने के जरूरत हैं जिसपर अब विचार हुआ है| क्यूंकि विशेषज्ञों के अनुसार सभी नागरिको को वैक्सीन देने से इस बीमारी से और बेहतर तरीके से लड़ा जा सकता है|

आगे के लिए रास्ता:

सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बेहतर ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा में तेजी लाई जानी चाहिए|

घरेलु मांग को देखते हुए कुछ वक्त तक के लिए ऑक्सीजन सहित दवाइयों के निर्यात पर अस्थाई रोक लगाई जानी चाहिए या दुनिया के अन्य देशो की तरह पहले अपने देश की घरेलू मांग पूर्ति वाली नीति को प्राथमिकता देनी चाहिए|

ऑक्सीजन को राज्यों के पास स्टोर करने की लिए अपनी टैंकर भी होने चाहिए जो की अस्पतालों की मांग के अनुसार पूर्ति कर पाए|

कालाबाजारी को रोकने के लिए अस्पतालों और उसके नजदीकी दवाई दुकानों के के साथ एक पोर्टल पर काम किया जाना चाहिए|

विशेषज्ञों के अनुसार सभी नागरिको को वैक्सीन देने से इस बीमारी से लड़ा जा सकता हैं जिसपर तेजी से काम करने की जरूरत हैं ठीक वैसे ही जैसे भारत ने पोलियो को खत्म करने के लिए नीति अपनाई थी|

बड़े पैमाने पर छोटे अस्थाई अस्पताल और कोविड सेंटर के निर्माण की जरूरत हैं जो ऑक्सीजन सहित दवाइयों के साथ लैस हो| इससे बड़े अस्पतालों में बढ़ते बोझ को भी कम किया जा सकता हैं|

बीमारी से लड़ने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल बने जिसमें बीमारी से जुडी हर जानकारी के साथ समस्या निपटान की रणनीति हो साथ ही साथ ही इसे देश के साथ साझा किया जाये|

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