भाग-2/अंतिम.
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार 2018 में, भारत में हर 55 मिनट में स्टॉकिंग का एक मामला दर्ज किया गया है। जहां वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है| देश में 2015 के बाद से स्टॉकिंग के मामलों की संख्या लगातार बढ़ी है। 2018 में, कुल 12,947 मामले जांच के दायरे में थे – वहीं 9,438 नए मामले दर्ज किए गए और 3,505 मामले पिछले कुछ वर्षों से लंबित थे[1]। जो मामले पहले से दर्ज है उनमें से कई केसों में अभी भी जांच लंबित हैं । लगभग 31.4% मामलों की जांच 2018 के अंत तक लंबित थी और 10.7% मामलों में - बिना आरोप पत्र के मामलों का निपटान किया गया था|
जनवरी 2020 में एक खबर के अनुसार मध्य प्रदेश के सागर जिले में 18 साल की लड़की का पीछा करने वाले शख्स को जब पता लगा कि उसकी शादी तय हो गई है तो उसने लड़की के साथ बलात्कार कर उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी[2]. वहीं फरवरी 2020 में दो नए और चौकाने वालें ताजा मामले देखने को मिले जो महाराष्ट्र से थे| जहां वर्धा जिले के एक कॉलेज में पढ़ाने वाली 25 वर्षीय युवती को एक युवक ने जिन्दा जला दिया, पुलिस ने बताया कि आरोपी उसका पीछा करता था| हिंगनघाट में पीड़िता जिस कॉलेज में पढ़ाती थी, वहां जाने के दौरान आरोपी ने उसका पीछा किया और उसे आग के हवाले कर दिया जहां पीड़िता 40 फीसदी झुलस गई थी| वहीं मुंबई के बांद्रा में एक लैब टेक्नीशियन द्वारा महिला का पीछा करने और उसका यौन उत्पीड़न करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया, इन दोनों ही मामलों खास बात ये रही की आरोपी पहचान के थे, इसलिए पुलिस द्वारा जल्दी संज्ञान मे लिए गए|
8 मार्च को हर साल विश्व महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन कई बार ये उनके लिए ही एक बुरा दिन भी साबित होता है जैसे 2011 के दिन दिल्ली विश्वविधल्या की एक छात्रा के साथ हुआ| जब वह कॉलेज जा रही थी तभी लगातार कई वर्षो से उसका पीछा करने वाले एक लडके ने गोली मार कर उसकी हत्या कर दी| करीब आठ साल से ज्यादा हो गये, उनके घर वालों को आज भी कोर्ट के फैसले का इंतजार है| 2018 में इसी तरह की घटना एक आईएएस ऑफिसर की बेटी के साथ हुई थी जो चंडीगढ़ में रहती है, आरोपी एक गणमान्य व्यक्ति का बेटा था, यह मामला उस बहादुर लड़की की हिम्मत की वजह से सामने आया,जो अपने साथ हुए घटना पर खुल कर सामने आई और डटी रही थी।
सजा - भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (डी) के अनुसार पीछा करना एक अपराध है जिसमे सज़ा के तौर पर 3 साल तक जेल या उससे ज्यादा और जुर्माना हो सकता है, दूसरी बार यह करने पर यह गैर-जमानती होगा साथ ही 5 साल तक की सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान है | NCW के साथ-साथ राज्य आयोग ने पुलिस के साथ इस तरह के मामलों का ध्यान रखा है जहां आप अपने नामों का उल्लेख किए बिना ऑनलाइन शिकायत कर सकते है|
ऐसा नहीं है की स्टॉकिंग के अपराधी कोई सनकी या अपराधों में लिप्त लोग ही होते है| ये अपराधी लगभग हर उम्र, वर्ग और बेहद आम लोगों में से भी करते है | कभी – कभी ये धटनाएं उनके लिए मजाक की विषयवस्तु होती है | एक्शन एड यूके संस्था के सर्वे (2016) में देखा गया कि भारत के प्रमुख शहरों में 79% महिलाओं ने सड़कों पर उत्पीड़न की सूचना दी।
देश के अन्य हिस्सों के बजाय दिल्ली में यातायात क्षेत्र में महिलाओं के लिए सुरक्षा के अच्छे साधन है, जैसे मेट्रो के अंदर महिलाओं के लिए अलग महिला कोच, विशेष महिला बसें आदि| फिर भी उनके साथ इस तरह की घटनाये होती रहती है। इससे पता चलता है कि ऐसा करना ही पर्याप्त नहीं है, महिला सुरक्षा के लिए इन सुविधाओं में और भी वृद्धि करने की जरूरत है । साल (2017) दिल्ली सरकार ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि निजी कैब सहित 75% सार्वजनिक परिवहन में कोई उचित कामकाजी जीपीएस सेवा नहीं है, सुरक्षा के क्षेत्र में महिलाओं के लिए बेहतर परिवहन की आवश्यकता है| 27/10/2019 से दिल्ली सरकार ने परिवहन के क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा के ध्यान मे रखते हुए बसों मे होम गार्ड की सुविधा शुरू की गई है इसी के साथ सड़को पर स्ट्रीट लाइटें लगाने के कार्यक्रम शुरू हुए है।
एक NGO Safetipin[3] द्वारा किए गए ऑडिट में दिल्ली में तीन साल के अंदर 4,000 से अधिक डार्क स्पॉट की पहचान की गई है| दिल्ली सरकार को रिपोर्ट सौंपने के बाद से सभी एमसीडी के विभागों ने सुधार के लिए काम किये । इसमें गैर-परिचालन स्ट्रीटलाइट्स को ठीक करना और नई स्ट्रीट लाइटें लगाना शामिल था, जहां भी सुनसान और अंधेरे वाली जगहों की पहचान की गई थी। कुछ क्षेत्रों में जहां रोशनी अपर्याप्त थी, अतिरिक्त स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं| इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 7,438 से ये घटकर 2,768 रह गई है जो भी अपने-आप मे एक बड़ी संख्या है, जिसपर काम जरूरी है । हर एक सड़क पर स्ट्रीट लाइटें लगाई जानी चाहिए|
स्टॉकिंग की घटनाये समाज के अन्दर ही हो रही है, और बढ़ रही है जिसे रोकने की कोशिश भी उनके द्वारा ही की जाये तो इससे निपटा जा सकता है| आज किसी महिला का कोई पीछा करता है और मदद मांगती है तो अक्सर देखा गया है की लोग मदद के लिए आने से पहले सोचने है की शायद वो पीछा करने वाला उसका जान - पहचान का हो, इसलिए मदद नही करते | आज आदमी ऐसी हरकते खुलेआम करता है क्यूंकी उसे ये भी पता है की इसपर न कड़े कानून है न कोई उसे पकड़ने की कोशिश करेग |
हमें ऐसे सामाजिक वातावरण की जरूरत है जिसमें शैक्षणिक संस्थाएं लडको और लड़कियों दोनों को एक- दूसरे का सम्मान करना सीखाये लडको में नैतिकता का भाव लाया जाये, इसके लिए जरुरी है की शिक्षा नीतिया जैसी लिखी गई है उन्हें उसी रूप में लागू भी की जाये जैसे 2005 शिक्षा निति के तहत सभी स्कूलों में सेक्स एजुकेसन लागू करने की बात कही गई है|
महिला उत्पीड़न जैसे पेचीदे समस्याओं के लिए समाज, सरकार खास कर पुलिस के बीच समन्वय और सहयोग आवश्यक है | दिल्ली में कुछ ऐसे क्षेत्र या मेट्रो मार्ग है जहां लड़कियां अधिक असुरक्षित महसूस करती है और उत्पीड़न से प्रभावित होती हैं| विशेष रूप से मेट्रो पर बाहरी रेड-ग्रीन लाइन और बाहरी दिल्ली क्षेत्र में ऐसी घटनाएँ आम है | पुलिस, मीडिया और सरकार द्वारा इनका मुल्यांकन भी किया जाता रहा है और समय-समय पर उनका प्रकाशन भी होता रहता है लेकिन उन क्षेत्रो में जमीनी सुधर आता नहीं दिख रहा है ।
सिनेमा जगत को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए की वे क्या दिखा रहे, सिनेमा पर ऐसी विषय वस्तु पर रोक लगे जो इस तरह की चीजों को बढ़ावा देते है| स्टाकिंग के विषय में सिनेमाई जगत में अब-तक सबसे गम्भीर फिल्म आई थी ‘डर’ जहाँ स्टाकिंग के भयंकर रूप को दिखाया गया था, जो बताता है की ये कोई छोटी बात नही है इसपर ध्यान देने की बहुत जरुरत है|
हर परिवार और स्कूल का कर्तव्य है कि वह बच्चियों को इसके बारे में बोलने के लिए प्रशिक्षित करें साथ ही बिना किसी डर के अपनी बात साझा करें, शिकायत दर्ज करें और पुलिस पर भरोसा करें, स्थानीय पुलिस को इस क्षेत्र पर कुछ गंभीर जिम्मेदारी लेनी चाहिए| सरकारी चौकसी उन तमाम जगहों पर हो जहाँ इस तरह के मामले अधिक दर्ज़ किये जाते है | समस्या यह है कि कोई भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है बल्कि प्रतिक्रिया तभी होती है जब कुछ व्यापक स्तर पर हुआ हो या जब वे किसी बड़ी घटना में दबाव का सामना कर रहे हों जैसे निर्भया, उन्नाव जैसी घटनाओं के वक्त देखा गया था ।
[1] http://ncrb.gov.in/StatPublications/CII/CII2018/pdfs/Table 17A.1.pdf
[3]https://indianexpress.com/article/cities/delhi/over-4000-dark-spots-lit-up-in-three-years-finds-audit-6192223/